सतना के बाद इंदौर में शराब के अवैध कारोबार पर कसी नकेल*
*आंतरिक सर्किल-2 में आबकारी सब इंस्पेक्टर मीरा की धमक*
आरपीटी इंदौर। शराब के अवैध कारोबार पर प्रभावी कार्रवाई में इंदौर जिले के आंतरिक सर्किल-2 की टीम ने प्रभावी भूमिका निभाई है।एक के बाद एक बडे तस्करों और ब्लैकरों को पकडकर सलाखों के पीछे पहुंचाया तो भारी मात्रा में कच्ची, देशी और अंग्रेजी शराब की जब्ती बनाई।इस सर्किल की कमान तेजतर्रार आबकारी उपनिरीक्षक मीरा सिंह को सौंपी गई है, जिन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को बिल्कुल भी निराश नहीं किया। हर दिन के साथ अपनी कार्यप्रणाली से अवैध कारोबारियों को धंधा बंद करने अथवा क्षेत्र छोडने पर मजबूर कर दिया। एक साल से भी कम समय के कार्यकाल में कई बड़े तस्करों को न्यायालय से सजा दिलवाने में अहम भूमिका निभाई। तुलनात्मक रूप से आकलन किया जाए तो पूरे जिले की प्रथम 3 सर्किलों में आंतरिक-2का स्थान बना दिया है। इससे पूर्व सतना में भी मीरा ने अपनी कार्यशैली से छाप छोड़ी थी तबादले के इतने वक्त बाद भी अमन पसंद और नशे के विरोधी उनके काम को याद करते हैं।
कभी हार न मानने का जज्बा
बचपन से ही कठिन परिश्रम और लक्ष्य के प्रति केंद्रित रहने वाली मीरा ने परिस्थितियों से समझौता करना मंजूर नहीं किया बल्कि अपनी हिम्मत और फौलादी इरादों के बल पर हालातों को अपने अनुकूल बना लिया। इसी जज्बे के चलते उनके साथ पढ़ने वाले और जानने वाले अभी तक कहते नहीं थकते की मीरा का टैलेंट और नजरिया किसी भी आईएएस अधिकारी से कम नहीं है पर शायद किस्मत यहीं पर अपना खेल दिखा गई । हालांकि प्रतिभा संपन्न मीरा ने किस्मत के सामने हथियार नहीं डाले और ना ही अपने इरादों को कमजोर पड़ने दिया। अपने गृह राज्य उत्तर प्रदेश में क्लास 2 ऑफीसर बनकर बेहद कम समय में खुद को साबित कर दिखाया था,और जब शादी कर मध्य प्रदेश आ गईंं तो एक अंतराल के बाद एमपीपीएससी की परीक्षा में भाग लेकर आबकारी उप निरीक्षक के पद पर चयनित हो गईंं । इस बीच वैवाहिक जीवन की जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए दो प्यारे बच्चों को भी दुनिया में लाई और पूरी तन्मयता से उनका ख्याल रखा। आबकारी विभाग में अपनी सेवा का शुभारंभ मीरा सिंह ने विंध्य की औद्योगिक नगरी सतना के सबसे मुश्किल इलाके नागौद से किया था।परिवीक्षा अवधि में ही ताबडतोड कार्रवाई कर खुद साबित कर चुकी हैं मीरा।
अभी तो सारा आसमान बाकी है
जीवन में असली उड़ान अभी बाकी है, हमारे इरादों का इम्तिहान अभी बाकी है, अभी तो नापी है बस मुट्ठी भर जमीन, अभी तो सारा आसमान बाकी है। शायर की लिखी यह पंक्तियां मीरा पर सटीक बैठती हैं। उत्तर प्रदेश में क्लास 2 ऑफिसर और मध्य प्रदेश एक्साइज सब इंस्पेक्टर की नौकरी हासिल करने के बाद भी उन्होंने आगे पढ़ने की कोशिशों को जारी रखा है। प्रशासनिक अधिकारी बनने के अपने लक्ष्य को पाने के लिए मीरा ने सेल्फ स्टडी को हथियार बनाकर मध्य प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन के द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षा के प्रथम चरण में भागीदारी की है तो अब अंतिम चरण के लिए तैयारियों में जुट गई हैं। नाजुक कंधों पर बड़ी-बड़ी जिम्मेदारियों को उठाने वाली मीरा के हार ना मानने वाले और हर हाल में मुस्कुरा कर आगे बढ़ने के जज्बे ने युवा पीढ़ी के लिए एक मिसाल कायम कर दी है।
पारिवारिक जिम्मेदारियों को भी बखूबी निभाती रहीं
पारिवारिक जिम्मेदारियों को कभी अपने काम के आडे नहीं आने दिया, बल्कि पुरुष सहकर्मियों से एक कदम आगे रहकर विभाग में उच्च मानदंड स्थापित कर दिए हैं। पारिवारिक जिम्मेदारियों को भी उतनी ही तन्मयता से निभाती रहीं थी लेकिन कभी किसी को शिकायत का मौका नहीं दिया। पति आलोक शर्मा पुलिस विभाग में उप पुलिस अधीक्षक के पद पर कार्यरत होकर वर्तमान समय में इंदौर में ही नगर पुलिस अधीक्षक हैं तो एक बेटी और एक बेटे की जिम्मेदारी उतनी ही चुस्ती फुर्ती से उठाती हैंं जितनी की वर्दी पहनकर ड्यूटी करती है । इस तेज तर्रार अफसर ने अपनी मां को साथ में ही रखा है ताकि उनकी ममता भरी छांव मिलती रहे और बेटी के कर्तव्य भी निभाते रहें।
वर्दी का बढ़ाया मान
आबकारी उप निरीक्षक मीरा सिंह ने टारगेट पूरा करने के लिए हमेशा पूरी ताकत से काम किया लेकिन कभी भी किसी को गलत तरीके से फंसाने की पक्षधर नहीं रही । और तो और अगर किसी कमजोर,गरीब, दिव्यांग अथवा बीमार व्यक्ति के घर पर कार्रवाई करनी पड़ी तो लीक से हटकर उसके परिवार की आर्थिक और भावनात्मक मदद करने से पीछे नहीं रहींं। कई बार देखा गया है कि लोग कोई रोजगार न मिलने अथवा मजबूरी किसी न किसी मजबूरी में मादक पदार्थ के धंधे में लिप्त हो जाते हैं और अगर सही समय पर मदद मिल जाए तो गलत रास्ता छोड़ने में देर नहीं लगाते । बस इसी सोच के साथ चलने वाली मीरा की संवेदनशीलता ने दर्जनों फुटकर शराब विक्रेताओं को सही धंधा शुरू करने के लिए प्रेरित किया है । युवा और तेजतर्रार एक्साइज अधिकारी ने अपने मातहतों को सदैव सम्मान दिया और अच्छे काम पर उनकी खुले दिल से पीठ थपथपाई ।इसी का नतीजा है कि मैदानी अमला एक आवाज पर मीरा के साथ कार्रवाई के लिए तत्पर रहता है।
जिनका कोई नहीं उनके साथ वक्त बिताना अच्छा लगता है
ड्यूटी पर कड़क अंदाज सख्त तेवर और स्पष्टवादी मीरा का दूसरा पहलू बेहद शांत सहज और शाम है। अपने व्यस्ततम और जिम्मेदारियों से भरे जीवन से कुछ पल चुराकर बुजुर्गों के साथ बतियाना ,उनके लिए खाना बनाना ,खिलाना ,कपड़े देना और उनसे बातें करना मीरा को बहुत भाता है ।जब भी उन्हें मौका मिलता है तो कुछ ना कुछ चीज लेकर शहर के ओल्ड एज होम्स पहुंच जाती हैं । मीरा ने बुरी संगत में पड़े, आर्थिक रूप से कमजोर मगर प्रतिभावान बच्चों को सही रास्ते पर आगे बढ़ने में भी दिल खोलकर मदद की है ।उनके सहयोग और मार्गदर्शन से कई बच्चे शिक्षित होकर रोजगार कम आ रहे हैं।